*दहेगाव पुलिस का कारनामा* *अपहरण मामले में बदले अनेकों के बयान*

*दहेगाव पुलिस का कारनामा*


*अपहरण मामले में बदले अनेकों के बयान*

वर्धा प्रतिनिधि- पंकज रोकडे
वर्धा- कोपरा (चानकी) निवासी किशोरी का अपहरण होने के बाद दहेगांव थाने में शिकायत दर्ज की गई थी. इसके आधार पर पुलिस ने जांचकार्य शुरु कर दिया. बालिका व अपहरणकर्ता की तलाश कर उन्हें थाने में भी लाया गया. परंतु मामला न्यायालय तक न पहुंचे इसकी पुरी खबरदारी बरतते हुए अनेकों के बयान ही बदले जाने की जोरदार चर्चा है. इतना ही नहीं तो प्रकरण को अलग मोड देने के लिए दहेगांव पुलिस ने बयान लिखे. पश्चात आर्वी के मालगण वार्ड में पहुंचकर संबंधीतों के इसपर हस्ताक्षर लेने की विश्वसनीय जानकरी है. 
बता दे कि, दहेगावं पुलिस के अनेक कारणामो पर अब तक पडदा डाला गया है. वरिष्ठों ने हमेशा इस थाने के कामकाज की ओर अनदेखी की. इस प्रकरण में अनेक चौकानेवाली बाते सामने आ रही है. 14 वर्षिय किशोरी को भगा ले जानेवाले आरोपी को पुलिस ने हिरासत में लिया. किशोरी व आरोपी दोनो को दिनभर थाने में बिठाकर रखा. इन दोनों को कानूनन हिरासत में बताकर न्यायालय में पेश करना जरुरी था, परंतु ऐसा नहीं किया गया. इसी में इस संपुर्ण मामले की जड छिपी हुई है. प्रकरण को अलग मोड देने के लिए एक मध्यस्था की भूमिका महत्वपूर्ण है, ऐसी चर्चा आर्वी तथा दहेगांव परिसर में है. मामला दर्ज होने के बाद जांचकार्य किस प्रकार शुरु है, आरोपी मिला या नहीं ?, आरोपी की तलाश में पुलिस ने क्या प्रयास किए, आरोपी को हिरासत में लेने के बाद उसे न्यायालय में पेश किया गया, या नहीं ? इन बातों की ओर ध्यान देने का काम वरिष्ठ अधिकारियों का होता है. परंतु कोरोना काल में इस छोटे थाने में दर्ज मामलो की ओर ध्यान देने के लिए वरिष्ठो को समय ही कहा है. परिणामवश ऐसे मामले अकसर दब जाते है. प्रकरण में शिकायतकर्ता द्वारा संदिग्ध आरोपी का नाम बताया गया था. बावजुद इसके दहेगांव पुलिस ने अज्ञात आरोपी के खिलाफ मामला क्यों दर्ज किया, अगर ऐसा हैं, तो हिरासत में लिये गए आरोपी को थाना रिकॉर्ड पर न लेते हुए क्यों छोड दिया गया ? यह सवाल उपस्थित हो रहे है. वरिष्ठ अधिकारियों ने इस प्रकरण की विस्तृत जांच करने पर अनेक चौकानेवाली बाते सामने आ सकती है.

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