*कठीण लढाई थी कारगिल*
सावनेरः देश आझादीकी 75 वी सालगीराह़ बडे ही उत्साहसे मना रहा है.जहा रैली,सांस्कृतीक आयोजन,देशभक्तीपर विविध आयोजन होकर हर घर तिरंगा लहराने हेतू देश तथा नगरवासीयोको प्रोत्साहित कीया जारहा है.व देशकी आझादीके लीये अपने प्राण नौछावर करणेवाले देशके सपुतोकी गौरवगाथाये जनजन तक पहुचाई जारही है.मानो समुचा देश केसरी,सफेद तथा हरे रंगमे रंगा नजर आरहा है.*
*देश सेवा तथा मातु्भुमीके रक्षा के लीये अपना योगदान देनेवालोकी इस देशमे कमी नही ऐसेही एक पुर्व सैनीक अमोल देशपांडे जो आर्मीसे सेवानिवृत्त होकर सावनेर तहसीलमे लिपिक पदपर अपनी सेवाये दे रहे है.*
*मातु्भुमीकी सेवा हेतू1995 मे भारतीय सेनामे शामील हुये बेळगाव सेक्टरमे ट्रेनिंग पुरी कर विविध सेक्टरमे देशकी सीमाओकी रक्षामे योगदान देने लगे.1999 मे अचानक का कारगील सेक्टरमे अचानक दुष्मनोने हमला बोल दिया.उस समय कर्नल सी के रमेश के नेतृत्वमे 15 मराठा बटालियन के साथ जम्मू कश्मीरके उरी सेक्टर से कारगिल की ओर कुच कर कारगील युध्दमे दुष्मनो दात खट्टे करणे लगे.कारगिल युध्द एक ऐसा युध्द था जीसमे दुष्मन उची पाहाडीयोपर और भारतीय सेना नीचे फीरभी पुरी हिम्मतके साथ पहाडीयोपर छिपे दुष्मनोको मार गीराते हुये भारतीय सेना आगे बढते रही तथा दुष्मनोके हाथोसे एक एक कर अपनी चौकीया फते कर कारगिल युध्दमे विजयकी शौर्य पताका राष्ट्रीय ध्वज कारगिलकी पहाडीयोपर फहराना जिवनका एक अविस्मरणीय पल था.उसके उपरांत युएन मीशन कांगो के तहत दक्षिण आफ्रिका मे योगदान देकर दिल्ली,जम्मू कश्मीर के डाबर सेक्टरसे 2014 मे भारतीय सेनासे सेवानिवृत्ती होकर आज सावनेर तहसीलमे सेवा देरहे है.कारगिल युध्दमे अपना योगदान देनेवाले अमोल देशपांडे की देशसेवा को शत शत नमन…*