*विरांगना राणी अवंतीबाई लोधी जयंती संपन्न*

*विरांगना राणी अवंतीबाई लोधी जयंती संपन्न*

सावनेरः शहर के गांधी पुतला स्थीत पुरातन श्री हनुमान मंदिर के प्रांगणमे शहरके समस्त लोधी समाज बांधवोने एकत्रीत होकर विरांगना राणी अवंतीबाई लोधी जयंती हर्षोल्हाससे मनाई*


*16 अगस्त 1831 को विरांगना राणी अवंतीबाई का जन्म हुआँ.युवा अवस्था मे उनका विवाह रामगड के राजकुमार विक्रमादित्य के साथ हुँयाँ.युवा अवस्था राजा विक्रमादित्य का निधन होणेसे तथा बच्चे छोटे होणेसे राणी अवंतीबाई पर रामगड़ का राजपाठ संभालनेकी जावाबदारी आई.उस समय देशपर अंग्रेजी हुकुमत का राज था.अंग्रेजी हुकुमत रामगड़ को अपने अधीन करण चाहते थे जो राणी अवंतीबाईको नागवरा था.जिसके चलते उन्होने अंग्रेजी हुकुमत से दो दो हाथ करणेकी ठान ली और अंग्रेजी सेनाको अनेकोबार युध्दमे हरया.इतिहासकार बताते है की यहीसे 1857 के क्रांती का दौर शुरु हुआँ.अंग्रेजी हुकुमत पर भारी पड़ रही विरांगना राणी अवंतीबाई लोधी से बदला लेने हेतू एक बडी फौजके साथ उन्हे घेर लीया.लढाई के दौरान खुदको अंग्रेजोसे घीरा देख राणी अवंतीबाईने अंग्रेजोकी गुलामीमे जीने अच्छा अपने प्राणोकी आहुती देना उचीत समझकर अपनी ही तलवार अपने सीनेमे घोपकर देशकी आझादीके लीये अपने प्राणोकी आहुती देकर मातु्भुमीके लीये बलीदान दीया.आज उसी महान पराक्रम 1857 के क्रांती की पुरोधा विरांगना राणी अवंतीबाई लोधी की 193 वी जयंती समुचे देशमे लोधी समाज बांधव बडेही उत्साहसे मनाकर उनके शौर्य तथा बलिदान को नमन कर उन्हे याद कर रहे है.*

*भारत सरकारने विरांगना राणी अवंतीबाई लोधीके सन्मानमे सन 1988 और 2001 मे डाक टीकट जारी कर उनके बलीदान तथा शौर्यकी गाथा जनजन तक पहुचाने का कार्य कीया.ऐसे क्रांतिकारी विचारोकी पुरोधा देशके आझादीके 1857 के क्रांती की प्रथम शहिद,महान बलिदानी,विर योद्धा विरांगना राणी अवंतीबाई लोधी को उनके 193 वी जयंती पर समस्त लोधी समाज बांधवोने एकत्रीत आकर उनके छायाचित्रका विधिवत पुजन तथा केक काटकर उनका जन्मदिवस बडेही उत्साह से मनाया.*

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