*कन्हान में पेरियर रामास्वामी और केशव ठाकरे इनकी संयुक्त जयंती मनाई* *”देवळाच्या धर्म आणि धर्माचे देवळे” इस ग्रंथ / पुस्तक को पढकर सभी बहुजन की आखें खुल जायेंगी – माला मंडपे* *दोनों ने अपने विचार और विवेकान दृष्टी से मनुष्य को जागृत करने का काम किया – सतीश भसारकर*

*कन्हान में पेरियर रामास्वामी और केशव ठाकरे इनकी संयुक्त जयंती मनाई*

*”देवळाच्या धर्म आणि धर्माचे देवळे” इस ग्रंथ / पुस्तक को पढकर सभी बहुजन की आखें खुल जायेंगी – माला मंडपे*

*दोनों ने अपने विचार और विवेकान दृष्टी से मनुष्य को जागृत करने का काम किया – सतीश भसारकर*

कन्हान प्रतिनिधि – ॠषभ बावनकर

कन्हान – कन्हान के गणेश नगर स्थित रमाई सार्वजनिक वाचनालय मे आधुनिक भारत के नवनिर्माता व सामाजिक विभेद को नकारने वाले जिन्होंने ईश्वर शक्ती व चमत्कार को बेबुनियाद बताया और सामाजिक परिवर्तन को इस देश को मूलभूत जरूरत को समजते हुए अपने वैचारिक दृष्टी को समझते हुए क्रांतिकारी परिवर्तन लाये ऐसे दो महान सखसियत समाज सुधारक पेरियर रामास्वामी और प्रबोधनकार केशवरावजी ठाकरे इनकी संयुक्त जयंती कन्हान के रमाई सार्वजनिक वाचनालय मे मनाई गई . इस अवसर पर मान्यवरो के हाथो पेरियर रामास्वामी और केशवरावजी ठाकरे इनकी प्रतिमा पर पुष्प हार माल्यार्पण कर कार्यक्रम की शुरुआत की गई . इन दोनों महान वैचारिक योध्दा के जीवन पर प्रकाश डालते हुए सतिश भसारकर ने अपने विचार रखे कि , इन दो महान व्यक्तीने सामाजिक बुराईया , रूढी परंपरा , कुरीतिया के खिलाफ क्रांती का बिगुल बजाने वाले दो महान विभूती थे . दोनों ने अपने तर्कबुद्धी से विज्ञानवादी विचार और विवेकान दृष्टी से मनुष्य को जागृत करने का काम किया . अंधविश्वास , पाखंडवाद के विरोध में अपनी आवाज हमेशा हि बुलंद कि वे समांनता ,न्याय ,स्वातंत्र्य के लिए ता-उम्र अपना पूरा जीवन ओबीसी, बहुजन ,वंचित, दलितो के उत्थान के लिए अपना जिवन कुर्बान किया . इस अवसर पर उपस्थित लोगों ने पेरियर रामास्वामी और केशवरावजी ठाकरे इनकी प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर विनम्र अभिवादन किया गया .

कार्यक्रम मे गाथा राऊत , मधुकर गणवीर , माला मंडपे , शैलेश दिवे , धर्मेंद्र गणवीर , सागर उके , दिनेश नारनवरे , और वाचनालय की सभी अभ्यास करता अध्ययन कर्ता उपस्थित थे .

अपने आभार प्रदर्शन मे माला मडंपे ने कहा की प्रबोधनकार केशव ठाकरे जी की *”देवळाच्या धर्म आणि धर्माचे देवळे”* इस ग्रंथ / पुस्तक को पढकर सभी बहुजन की आखें खुल जायेंगी, ऐसा आशावाद रखते हुए इस पुस्तक को ज्यादा से ज्यादा लोगों ने वाचन करना चाहिए ऐसा आव्हान किया गया .

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