*राष्ट्र संतो के आगमन से पावन हुयी सावनेर नगरी*
*इंसान की सबसे बड़ी ताकत है उसकी सोचः – राष्ट्रसंत महोपाध्यायश्री ललितप्रभसागरजी*
मुख्य संपादक – किशोर ढूँढेले
सावनेर – 8 दिसंबर को राष्ट्र संत महोपाध्यायश्री ललितप्रभ सागरजी महाराज ने अपनी सोच को कैसे बनाएं पाॅजिटिव एवं पाॅवरफल विषय पर कहा कि इस दुनिया में इंसान के जीवन में सबसे बड़ी अगर कोई ताकत है तो वह है उसकी सोच। ये है तो जिंदगी है, और अगर ये नहीं है तो इंसान की जिंदगी में कुछभी नहीं है। किसी भी इंसान की जिंदगी के लिए ये तीन चीजें बेहद जरूरी होती हैं, नंबर एक- सफल जीवन, नंबर दो- सुखद जीवन और नंबर तीन- सार्थक जीवन। इंसान को अपनी जिंदगी में केवल सफल और सुखद ही नहीं सार्थक जीवन का मालिक भी जरूर बनना चाहिए। सफल व सुखद जीवन जीते हुए आप किसी जरूरतमंद के काम आएं यह है सार्थक जीवन। अगर इंसान का जीवन सार्थक हो गया तो सफलता और सुखी जीवन की भी गारंटी है। जीवन में हमेशा यह याद रखना कि जब हम उपर जाएंगे तो हमारा धर्म ही हमारे साथ जाएगा, धन यहीं का यहीं धरा रह जाएगा। इसीलिए अपने धर्ममय जीवन का अभिनंदन कीजिए।
*इससे पूर्व राष्ट्र संत श्री ललित प्रभ जी और डॉ. मुनि श्री शांतिप्रिय सागर जी के सावनेर मुख्य बाजार स्थित जैन मंदिर आगमन पर सकल जैन समाज और अन्य समाज के श्रद्धालु भाई बहनों द्वारा धूमधाम से स्वागत किया गया। गुरुदेव के जयकारे लगाते हुए अक्षरों को उछाल कर बधावणा किया गया।*
*स्वागत में मानमल जैन सिंघवी, श्रीमती विमलादेवी जैन सिंघवी और अन्य सकल समाज बंधू व श्रद्धालु विशेष रूप से उपस्थित थे।*