*प्रकृती के सम्मान का पर्व कर्मा(करम)महोत्सव धुमधाम से मनाया गया*
*संवाददाता – दिलीप येवले*
कर्मा एक पवित्र पेड़ है जो बहुत ही दुर्लभ और पवित्र है जो जंगल में मिलता है, भादो मास के एकादशी को इस पवित्र पेड़ की डाली को लाकर घर के आँगन में ठीक बीचोबीच रखा जाता है इस पवित्र पेड़ की डाली को लाने और काटने से पहले पहान (भुमका) पूजा करता है पाहन के साथ होती है गांव की बड़े और बच्चों की टोली और एक ब्यक्ति घांट बजाते हुये घर ले आते हैं और विधि विधान के साथ आँगन में पहान दवारा स्थापित किया जाता है और जितनी भी गांव की कुँवारी लड़की होती हैं वो उपवास करती है पूरी गांव की लड़कियां 10-15 दिन पहले जो जावा उगाई होती है उसे अपने साथ नदी ले जाती है स्नान कर के जावा को भी स्नान करतीं है घर वापिस होकर सभी लड़कियां सज धज कर अपनी थाली में हलदी, अक्षद, धुप, धुवन, दुध, फूल आदि साथ लेकर आती हैं पहान या भुमका दवारा पूजा होता है तब सारी उपासीन लड़की कर्मा के चारो और बैठ कर पूजा करती है।
पूरे आदिवासी समुदाय के लोग होते हैं सभी कोई अपने साथ फूल लेकर आते हैं और कर्मा में चढ़ाते हैं ।दुसरे दिन आदिवासी कुल देवता को खेत मे उत्पन्न नया अन्न समर्पित करता है उसके बाद उसका उपभोग करते हैं. छत्तीसगड, मध्यप्रदेश,ओडिसा, आंध्रप्रदेश,तेलंगणा,झारखंड,महाराष्ट्र मे प्रमुखतासे यह त्योहार मनाया जाता है.आदिवासी बहुउद्देशीय विकास संस्था,नागपूर तथा छोटा नागपूर आदिवासी समुदाय के माध्यम से आज तारीख १५ सितंबर २०१९ को सुबह १० बजे समुदाय भवन,सेमिनरी हिल्स नागपूर मे अपनी परंपरा कायम रखते हूये “आदिवासी करम महोत्सव” का शानदार आयोजन किया गया कार्यक्रम मे प्रमुख अतिथी के रूप में रायगड के धर्मगुरू फादर देवनिस एक्का ,अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद नागपूर विभाग अध्यक्ष दिनेश शेराम,अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद नागपूर विभाग कार्याध्यक्ष विवेक जी नागभिरे,शाम कार्लेकर,स्वप्नील मसराम आदी मान्यवर उपस्थित थे,सर्व प्रथम आदिवासी करम वृक्ष का पूजन कर दीप प्रज्वलन तथा आदिवासी समाज क्रांती के जनक बिरसा मुंडा जी की प्रतिमा पर पुष्पमाला अर्पण करके महोत्सव का विधिवत उद्धघाटन किया गया, आदिवासी पारंपरिक नृत्य तथा गायन द्वारा मान्यवर का पवित्र जल से हात धोकर जवारे भेट देकर,शाल,पुष्प गुच्छ देकर स्वागत किया.आदिवासी समाज बांधव को मार्गदर्शन करते हुयें दिनेश शेराम ने कहा की,करम वृक्ष का आदिवासी समुदाय सदा आदर करते आया है, इस पेड की लकडी जलाने के लिये उपयोग नही की जाती ना ही इस वृक्ष की लकडी का बैठणे के पीडा के लिये उपयोग किया जाता है,यह प्रकृती के लिये सन्मान का प्रतीक है,पर्यावरण बचानेका संदेश है, अपनी विशिष्ट भाषा,संस्कृती,रिती रिवाज की वजह से आदिवासी समुदाय की विशेष पहचान है आज का महोत्सव उसकी जिंदा मिसाल है.संस्था का संस्कृती बचानेका प्रयास सराहनिय है”.फादर देवणीस एक्का जी ने प्रकृती संरक्षक आदिवासी समुदाय की सांस्कृतिक धरोहर को संजोये रखने के प्रयास की सराहणा कर शुभाशिष दिया. इस के बाद पारंपरिक आदिवासी कर्मा नृत्य प्रस्तुत किये गये. प्रमुख ता से पांच शैली से कर्मा नृत्य प्रस्तुत कीये गये जिसमे झूम झूम कर नाचा जाने वाला “झुमर” नृत्य, एक पैर झुकाकर गाया जानेवाला “लंगडा” नृत्य, लहराते हुये किया जनेवाला “लहकी” नृत्य, खडे होकर किया जानेवाला “ठाढा” नृत्य, आगे पीछे पैर रखकर कमर लचकाकर किया जाणे वाला “खेमटा” नृत्य प्रस्तुत किया गया इस मे आदिवासी समाज की स्त्री,पुरुष,बच्चे,युवक, युवतीयो का सहभाग रहा कर्मा नृत्य मे मांदर,झांज,मंजिरा,पारंपरिक आदिवासी गीत ने सभी को मंत्रमुग्ध किया. कार्यक्रम के आयोजन मे आदिवासी बहुउद्देशीय विकास संस्था नागपूर के अध्यक्ष जॉन बेक,उपाध्यक्ष सुशील कुंजर,सेक्रेटरी पिटर मिन,कोषाध्यक्ष बेरनड एक्का सभी छोटा नागपूर परिवार सदस्य की मेहनत से महोत्सव धूम धाम से संपन्न हुआ, बडी संख्या मे आदिवासी समुदाय उपस्थित थे,सहभोजन से महोत्सव का सफल समापन हुआ.