*बोर-अभयारण्य तथा पेंच के वन्य प्राणियों के विचरण की समस्या!* *भ्रमण (कॅरिडोर)मार्ग ना होने के चलते बाघों को खतरा*

*बोर-अभयारण्य तथा पेंच के वन्य प्राणियों के विचरण की समस्या!*

*भ्रमण (कॅरिडोर)मार्ग ना होने के चलते बाघों को खतरा*

कोंढाली संवाददाता – दुर्गाप्रसाद पांडे

अब!नागपुर वन विभाग को टायगर कॅपीटल के नाम से जाने जाता है। किंतु नागपुर जिले के भौगोलिक सीमा महाराष्ट्र व मध्यप्रदेश से लगे टाइगर रिजर्व के बीच अंतरराज्यीय (बाघ)शेर कॉरीडोर की मांग]

कोंढाली- महाराष्ट्र तथा मध्य प्रदेश के टाइगर रिजर्व से सटे नेशनल पार्कों को जोड़कर अतंरराज्यीय बाघ कॉरीडोर बनाया जाए। वन विभाग तथा राष्ट्रीय राजमार्ग से जुडे राष्ट्रिय बाघों से जुडे नॅशनल पार्कों के बीच वन्य प्राणियों को विचरण के लिये बाघों के रास्ते में आने वाली अड़चनों को दुर करने के लिये कैरीडोर की निर्माण की जैसे महत्वपुर्ण कार्य की ओर वन विभाग द्वारा ध्यान देने की मांग कोंढाली- कलमेश्वर वनपरिक्षेत्र से सटे बोर अभयारण्य से सटे नागरीकों द्वारा स्थानिय विधायक तथा राज्य के गृह मंत्री अनिल देशमुख से की गयी है।


*दुर्घटनाओं के वजह से कम हो रही बाघों की संख्या*

नागपुर वन विभाग को देश में अब एकऔर नाम से पहचान बनी है। वह है!कॅपिटल आफ टायगर । परंतू भौगोलिक सीमा से गुजरने वाले एशियन हायवेज संख्या 46तथा राष्ट्रिय राज मार्ग संख्या 06 के नागपुर -कोंढाली के बीच नागपुर से अमरावती जाते समय 34 -35 कि मी दुरी के बिच टायगर कैरीडोर अथवा वन्य प्राणी भ्रमण मार्ग न होने कारण बोर अभयारण्य से पेंच व्याघ्र प्रकल्प तक विचरण करने लिये वन्य जीवों की मुश्किलें बढने की बात जानकारों द्वारा कही जा रही है।विगत वर्षों मे बोर अभयारण्य के शेर विचरण के लिये बाजारगांव -कोंढाली के बीच बाजारगां के पास से राष्ट्रिय राज मार्ग पर तिन बाघों की बली चढ चुकी है।
अब इस राज मार्ग से बाघ तथा तेंदुओं को विचरण के लिये टायगर केरिडोर की मांग की गयी है।


*भ्रमण मार्ग का निर्माण आवश्यक*
नागपुर जिले के कोंढाली- तथा कलमेश्वर वन परिक्षेत्र के ढगा-कवडीमेट,चमेली,मरकसुर, शिरपुर,मार्ग से समय समय समय पर बाघों की आवाजाही लगी रहती है। जिसके कारण सातनवरी-पांच नवरी शिवार बाजारगांव -कोंढाली के बीच टायगर कॅरीडोर बनाना आवश्यक होने की जानकारी दी गयी है।

अब!टायगर कैपीटल में बांघो के विचरण के लिये टायगर कैरीडोर बनाकर टायगर कैपीटल की साख बचाये रखने के लिये राज्य सरकार के वन विभाग,(नैशनल टायगर )एन टी सी , केंद्रिय सडक परिवहन मंत्रालय के राज मार्ग प्राधिकरण के संयुक्त कार्यवाही कर सातनवरी -बाजारगांव -कोंढाली के बीच टायगर कैरीडोर बनाने के लिये मार्ग निकाले जाने की मांग की गयी है।


*दुर्लक्षता से हो रही बाघों मौत*

बाघों की राजधानी के नाम से जाने के बाद भी नागपुर के समिपस्थ बोर तथा पेंच अभयारण्यों के वन्यजीवों तथा बाघों को विचरण के लिये स्वतंत्र मार्ग ना होने के कारण बोर अभयारण्य के अनेक बाघों को राज मार्ग पार करते समय अपने जीव(प्राण)गवाने पड़ रहे हैं । वहीं केंद्र तथा राज्य सरकार के वन विभागों द्वारा इस गंभीर विषय पर की जा रही दुर्लक्षता तकलिफ देह साबीत हो रही है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार महाराष्ट्र राज्य के उपराजधानी नागपुर के आस पास दो- सौ किलो मिटर के दायरे में दस टायगर रिजर्व घोषीत है। इन टायगर रिजर्व के तहत अनेक टायगर प्रोजेक्ट तथा वन्य जीव अभयारण्य को देखते हुये,नागपुर को अब बाघों की राजधानी (टायगर कैपिटल ) कहा जाता है।
एक ओर बाघों के राजधानी के नाम से अब नागपुर की पहचान बन गयी है । वहीं नागपुर से मात्र 55कि मी दुरी के बोर अभयारण्य के बाघों के विचरण के लिये भूमीगत(अंडर पास मार्ग) मार्ग की व्यवस्था ना होने से नागपुर कोंढाली-अमरावती मार्ग के कोंढाली तथा कलमेश्वर -तथा कारंजा वनपरिक्षेत्रत के बोर अभयारण्य के बाघों के कुनबे से एक एक कर नामी बाघ(बाजीराव) राजमार्ग पार करते समय मौत के आगोश मे समा रहें है। इस से वन विभाग के दुर्लक्षता पर सवालिया निशान लग रहें है।

*मौत की वजह*

यहां के बोर अभयारण्य के बाघों की मौत दुर्घटना के कारण हुई है। नागपुर कोंढाली-अमरावती राजमार्ग संख्या 06पर कोंढाली- कलमेश्वर वनपरिक्षेत्र के बाजारगांव समिपस्थ नागपुर से 34-35किलो मीटर के पास विगत चार वर्षों में चार बाघों की सडक दुर्घटना में अज्ञा त वाहनों की टक्कर के कारण दर्दनाक मौत हुई है।


*वन विभागों के केंद्रीय विभाग तथा राजमार्ग प्राधिकरण की संयुक्त जांच दल बने!*

वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ देहरादून (डब्ल्यू आय आय) के माध्यम से बाघों के पग मार्क (पद चिन्ह),बाघों द्वारा रास्तों में किये गये शिकार के जानकारी के आधार पर टायगर कैरिडोर के निर्माण कार्य के नियोजन करते समय इस संभावित कैरिडैर के मार्ग में आने वाले रेल मार्ग, राजमार्ग, आने पर भुमीगत मार्ग (अंडर ग्राउंड मार्ग) तयार करने के साथ साथ इस क्षेत्र के जंगलों को विकसित करने के लिये नैशनल टायगर रिजर्व कंनजरर्वेशन अथाॅरटी (एन टी सी ए)के माध्यम से राष्ट्रीय राज मार्ग के तथा संबधित राज्यों के वन मंत्रालयों के साथ अनुबंध कर कैरीडोर बनाये जाने की मांग सरपंच केशव राव धुर्वे, उपसरपंच स्वप्निलसिंह व्यास, वन्यजीव प्रेमी ब्रजेश तिवारी, राजेंद्र खामकर, दुर्गाप्रसाद पांडे, बाजारगांव सरपंच तुषार चौधरी, उपसरपंच मंगेश भोले, राकेश असाटी आदी द्वारा की गयी है।
इस विषय पर नागपुर वन विभाग के ।डि एफ ओ- पी एन शुक्ला से पुंछने पर बताया की बोर अभयारण्य के बाघों के विचरण के लिये स्वतंत्र मार्ग होना(कैरीडोर)होना आवश्यक है। इस विषय पर वरिष्ठ कार्यालय से संपर्क कर बाघों के सुरक्षा के लिये सभी उपाय करने के लिये प्रयास किया जायेगा!
*अंडर पास ना होने से वन्यप्राणीयों की मौत*
वन्यजीव संरक्षण मंडल के सदस्य किशोर रिठे से इस विषय पर चर्चा करने पर बताया की नागपुर जिले के कोंढाली तथा कलमेश्वर वनपरिक्षेत्र तथा बोर अभयारण्य से बाघों का आवगमन सदैव बना रहता है. इनका यह मार्ग बोर अभयारण्य से कोंढाली -बाजारगांव तथा आगे के लिये आने जाने के लिये राजमार्ग क्र 06के बाजारगांव -सातनवरी से बने राजमार्ग से ही आवाजाही होती है. इस लिये राजमार्ग प्राधिकरण के वरिष्ठ अधिकारीयों से अनेक बार चर्चा करने पर भी वे इस महत्वपूर्ण मांग पर कभी ध्यान ही नही देते. सच तो यह है की राजमार्ग अथार्टी, वन विभाग, लोक निर्माण विभाग, पर्यावरण विभाग द्वारा इस महत्वपूर्ण मांग पर ध्यान देना चाहिये पर इसमे कोई हल नही निकल रहा, और वन्य जीवों की सडक दुर्घटना में मौते हो रही है.

Check Also

*असंवेदनशील सरकार का निषेध* *बदलापूर पीडीताको न्याय दो शिवसेना (उबाठा) की मांग*

🔊 Listen to this *असंवेदनशील सरकार का निषेध* *बदलापूर पीडीताको न्याय दो शिवसेना (उबाठा) की …