*प्रबोधन विचारों के साथ बेहद कामयाब रही “ईद ए मिलादुन्नबी” पर “पैगम्बर मुहम्मद (स.अ.) का मानवीय दृष्टिकोण और अन्य धर्मियों से व्यवहार” पर आयोजित सम्मेलन*
वरोरा प्रतिनिधि – जुबेर शेख
वरोरा –जिला चंद्रपूर में “मराठी मुस्लिम सोशल वेलफेअर” संस्था की ओर से सर्वधर्मीय ईद ए मिलादुन्नबी के अमुक पर सर्व धर्मीय प्रबोधन सम्मेलन का आयोजन नगर भवन में किया गया था! सम्मेलन की अध्यक्षता प्रा. जावेद पाशा क़ुरैशी इन्हें सौंपी गई थी। बतौर मुख्य अतिथि मौलाना प्रा. मोहम्मद जुबैर (नागपुर), राष्ट्रसन्त तुकडोजी महाराज विचार साहित्य के अग्रणी ज्ञानेश्वर रक्षक, मा. ना गो थुटे सर, रवि मानव (मोझरी),म मा.विलास नेरकर, छोटूभाई शेख,मा.अहेतेशाम अली, मालू साहब, डॉ. नगराळे आदि मान्यवर उपस्तिथ थे .
प्रो. मौलाना जुबैर साहब ने कहा कि पैग़म्बरे इस्लाम मुहम्मद का संदेश समस्त मानव जाति के लिए भलाई का था। पड़ोसियों से लेकर सभी धर्म बांधवों के साथ बेहतर बर्ताव के साथ सहजीवन का संदेश उन्होंने दिया है! अनेकों सन्दर्भो के साथ उन्होंने दाखले प्रस्तुत किये.
राष्ट्रसन्त तुकडोजी महाराज विचार साहित्य विचार के अग्रणी ज्ञानेश्वर रक्षक साहब ने कहा कि तुकडोजी महाराज ने कहा था, मुहम्मद साहब का विचार केवल एक धर्म जमात के लिए नहीं है, वह समस्त मानव जाति की लिए है! इस्लाम कभी भी सहजीवन और सहअस्तित्व का पक्षधर रहा है! और भारतीय संस्कृति में मामविय दृष्टिकोण का प्रवाह रहा है!
रवि मानव ने कुरान की आयतों के संदर्भ में भाईचारे की बेहतरीन मिसालें पेश की और कहा कि देश के सभी संतों ले विचार समभाव और प्यार मुहब्बत के है! कोरोना काल मे हमने इस्लामी भाइयों की मुहब्बत देखी है! यह मानवीय सेवा का दृष्टिकोण उंन्हे यकीनन मुहम्मद पैगम्बर साहब से मिला है.
अध्यक्षीय भाषण में प्रा. जावेद पाशा ने विश्वप्रसिद्ध ईसाई और गैरमुस्लिम विचारवंतों के अनेकों लिखे सन्दर्भो के साथ पैगम्बर मुहम्मद और क़ुरान के सहजीवन, मानव सेवा, स्त्रीमुक्ति, गुलाम मुक्ति, शिक्षा-व्यापार मुक्ति, विचार मुक्ति, वर्ण-जातमुक्ति, बंधुभाव, समता में कैसे अमूल्य योगदान है इसके उदाहरण पेश किए! उन्होंने आयोजको को बधाई देते हुए कहा कि, ऐसे आयोजनों से गलतफहमियाँ दूर होती है और बहुधर्मीय संवाद बढ़ता है! जिन्हें धर्म के नाम नफरत फैलाते है, वह अपना कार्य करते ही रहेगे, लेकिन हमें समता और सहजीवन-सहकार्य के लिए हमेशा कार्यरत रहना होगा! ऐतिहासिक सन्दर्भो के साथ, मदीना राज्य की स्थापना से लेकर भारत मे इस्लाम में बहुजन समाज के भाईचारे, समता और स्वतंत्रता के लिए दाखिल होने तक के संक्षिप्त इतिहास को उन्होंने रखा!
अंत मे आभार प्रदर्शन के साथ राष्ट्रसन्त तुकडोजी महाराज राष्ट्र वंदना ज्ञानेश्वर रक्षक साहब ने पढ़ी और कार्यक्रम का समापन किया गया!
सभा मे बड़ी संख्या में सभी धर्म के लोग उपस्तिथ थे!