*एसटी कर्मचारियों की हड़ताल! स्कूली छात्र-छात्रएं हो रहे बेहाल ; शासन- प्रशासन-तथा एस टी कर्मचारी तुरंत हल निकाले*
*काटोल डिपो के 61 कर्मचारी सेवामुक्त(बडतर्फ) ; 80कर्मचारीयों को नियमित चार्जशीट*
कोंढाली – संवाददाता दुर्गाप्रसाद पांडे
काटोल – कोरोना के बढ़ते प्रकोप के चलते करीब डेढ़- दो वर्षों से राज्य की स्कूलें बंद थे। दिपावली से पहले स्कूल-महाविद्यालय शुरू हो गए थे।परंतु दिपावली की छुट्टी तथा ओमायक्रान कोविड के कारण इसे फिर से स्कूलें बंद कर दी गयी थी।अब स्कूल, कॉलेज पुन्हा: शुरू हो गये है। ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों को शहरीअथवा समिपस्थ नगरों के आसपास के हायस्कूलों तथा महाविद्यालयों में जाने के लिए रा प नि की बस सेवा ही एक मात्र विकल्प है,परंतु रा प नि के कर्मिंयो द्वारा रा प नि का राज्य सरकार में मर्जर के जारी आंदोलन के यात्री परिवहन ठप्प है। इसलिए छात्रों को शैक्षणिक नुकसान हो रहा है। वहीं, राज्य सरकार के माध्यम फे स्कूली छात्राओं को अहिल्या देवी होलकर मुफ्त यात्री पास योजना तथा अन्य छात्रों को पढाई के लिये स्कूल महाविद्यालय में पढाई के लिये आवाजाही के लिये यात्री किराये में 67% छूट के साथ यात्री पास के लिये काटोल बस डिपो के तहत अंदाजन छह हजार से अधिक छात्र लाभान्वित हैं। हालांकि, बस के बंद होने से छात्रों तथा छात्राओं को अधिक समस्याओं सा जूझना पडता है। कोरोना संक्रमण के डर से राज्य सरकार ने एहतियाती कदम उठाते हुए चरणबद्ध तरीके से स्कूल-कॉलेज शुरू किए. अब कक्षा पांचवी से आठवीं एवं बारहवीं ग्रामीण तथा शहरी क्षेत्रों की पढाई में शुरू की गई है।अब प्राथमिक विद्यालय भी शुरू हो गए हैं। गांव से स्कूल की दूरी अधिक होने के कारण कई बच्चे स्कूल आने-जाने के लिए बस की यात्री पास का उपयोग करते हैं। फिलहाल रा प नि के कर्मियो के अपनी मांगों को लेकर चल रही हड़ताल के चलते बस सेवाऐं बंद है।फलस्वरूप इस से खासतौर पर छात्राओं को परेशानी हो रही है। कोंढाली के हायस्कूल तथा महाविद्यालयीन छात्रों को राजमार्ग तथा राज्य राजमार्गों से स्कूल जाने आने के लिये निजी वाहनों का ही सहारा लेना पडता है।साथही यात्री किराया भी अधिक देने के लिये मजबूर होना पडता है।
विगत डेढ़ वर्षों तक ऑनलाइन पढ़ाई शुरू थी।अब छात्रों कों ऑफलाइन पढाई शुरू हो गयी है।अब!स्कूल,महाविद्यालयीन पढाई के लिये बस कुछ ही दिन बचे हैं। वहीं संयोग से, एसटी कर्मचारीयों हड़ताल पर चले जाने से बस सेवा बाधित हो गई।
*सात हजार छात्रों का प्रश्न*
कटोल डिपो अंतर्गत कोंढाली-कटोल-सावरगांव-नरखेड़-जलालखेड़ा बस स्टेशन से, रा प नि के माध्यम से 12वी तक के छात्राओं के लिए अहिल्या देवी होलकर मुफ्त बस पास योजना शुरू है। कटोल नरखेड़ तहसिल के लगभग दो हजार छात्राओं को इस योजना के लाभार्थी हैं। इसमें 22 स्कूलों और कॉलेजों के छात्र शामिल हैं। इसी प्रकार राज्य सरकार के माध्यम से67% लाभ देकर छात्रों को पढाई के लिये पास दी जाती है ।इस प्रकार के लाभार्थी छात्रों की संख्या लगभग ढाई हजार से अधिक है। इस बीच, बस कर्मचारियों की हड़ताल के कारण, छात्रों को निजी वाहनचालकों को अधिक किराया देना पड़ता है। विगत 128 दिनों से चली आ रही एसटी कार्यकर्ताओं की हड़ताल आज भी जारी है. यह लोकतंत्र का दुर्भाग्य है कि कर्मचारी- जन प्रतिनिधी, शासन और तथा प्रशासन द्वारा अब तक कोई समाधान कारक नहीं निकल रहा । राज्य सरकार द्वारा आंदोलनकारी कर्मचारीयों की मर्जर को छोडकर अधिकांश मांगे मान लेने की जानकारी दे रहे है। पर रा प नि के 70%कर्मचारी अभी भी मर्जर को लेकर आंदोलन पर अडे है। रा प नि के आंदोलन का विषय न्यायालय में दाखिल किया गया है ।जिसकी सुनवाई आगामी 11मार्च होना है। फिल हाल एस टी द्वारा ग्रामीण आंचल में रा प नि की यात्री परिवहन 90%ठप्प होने से गरीब छात्रों, सिनियर सिटिझन, तथा आम नागरिक और छात्र परेशान हैं। रा प नि जैसे महत्वपूर्ण यात्री सेवा के आंदोलन कितने समय तक खिंचा जाय, इसकी भी सीमाएं हैं। हालांकि राज्य सरकार ने विकल्प के तौर पर निजी वाहनों को अनुमति दी है, लेकिन उनके द्वारा लिया जाने वाला किराया आम आदमी के लिए वहनीय नहीं है।
एसटी कार्मीं फिलहाल हड़ताल पर हैं और आंदोलन का मामला न्यायिक समीक्षा के लिये न्यायालय में है।
*कटोल डिपो में 80 कामगार के खिलाफ कार्रवाई ; काटोल डिपो में 80 श्रमिकों के खिलाफ कार्रवाई*
*61 कर्मचारी सेवामुक्त ; काम पर सिर्फ 17 मजदूर*!
प्राप्त जानकारी के अनुसार काटोल डिपो के 309 एसटी कर्मचारियों में से 61 बडतर्फ (डिसमिसल) कर दिया गया, जबकि 80 कर्मचारियों को नियमित (चार्जशीट) दोषारोप दिया गया है ।, 05 को निलंबित कर दिया गया है, वर्तमान में 17 कर्मचारी ड्यूटी सेवारत हैं। ग्रामिण आंचल के स्कूली छात्रों का भविष्य बचाने के लिये तो भी रा प नि के कर्मियों के हडताल पर प्रशासन, शासन, एस टी कर्मचारी तथा कर्मियों के नेता तुरंत हल निकाले यह मांग छात्रों तथा छात्राओं के अभिभावकों द्वारा किया जा रहा है ।