*वन्यजीव सुरक्षा के लिये बाजारगांव के पास अंडरपास जरूरी* *मनुष्य तथा वन्यजीव दोनों को बचाये जाने के भरसक प्रयास हो*

*वन्यजीव सुरक्षा के लिये बाजारगांव के पास अंडरपास जरूरी*

*मनुष्य तथा वन्यजीव दोनों को बचाये जाने के भरसक प्रयास हो*

*जल-जंगल-जमीन-मानव-वन्यजीव-तथा पर्यावरण बना रहे!*

*डाॅ श्या,माप्रसाद मुखर्जी जन वन योजना में की नये अभियानों को जोड़कर प्रभावी ढंग से अमल हो!*

*चार अक्तूबर 2019से 22मई 2022 के ति वर्षों के बीच पांच किसान तथा चरवाहों को बोर अभयारण्य के बाघ नें अभयारण्य के बाहर आकर अपना-अपना निवाला बनाया*

*किसानों के पशुओं को सदैव बनाते है निशाना*
*बाजारगांव के पास अंडरपास की मांग*

 

काटोल संवादाता -दुर्गाप्रसाद पांडे

कोंढाली/बाजारगांव – टायगर कॅपिटल के नाम से भी नागपुर को जाना जाता है ।यह प्रसिद्ध के लिये सही है, पर टायगर कॅपिटल के तहत आने वाले देश के सबसे छोटे व्याघ्र प्रकल्प बोर व्याघ्र प्रकल्प के कोअर तथा बफर झोन के तहत बाघों की संख्या तथा बाघों के हमले मे मानविय हानी के साथ साथ किसानों तथा पशुपालकों के पशुओं को बचाने के लिये राज्य-तथा केंद्र सरकार , प्रशासन के साथ समय समय पर न्यायपालिका का द्वारा सरकारों के दिये जाने वाले दिशा निर्देशों में देश के टायगर कॅपिटल कहे जाने वाले नागपु-वर्धा क्षेत्र के अभयारण्यों तथा समकक्ष वनों से निकल कर वन्य जीव तथा पशुओं पर हिंस्त्र के हमलों से बचने के साथ ही हिंस्त्र पशुओं का भी संवर्धन होता रहे, वहीं वनों के समिपस्थ गांव,खेत, खलिहानों, के किसान,मजदूर, चरवाहे तथा आम नागरिकों भी सुरक्षा मिले। इस पर सुचारू मार्ग निकालने की मांग की जा रही है
*वन्यजीवों की सुरक्षा के लिये* केंद्र तथा राज्य सरकारों द्वारा ऐसे प्रस्ताव लाये जाने की मांग जंगल क्षेत्र समिपस्थ के नागरिकों की है।
टायगर कॅपिटल के बोर तथा पेंच , ताडोबा अभयारण्यों के बीच बाघों को अपने नैसर्गिक अधिवास के लिये आवाजाही के लिये कैरीडोर बनाया जाय , इस लिये केंद्र सरकार के पास नियोजन तथा नियमावली है। फिर भी राजमार्ग अथवा राज्य के साथ साथ जिला मार्गों जहाँ से( वाघों को)वन्यजीव अधिकतर नैसर्गिक अधिवास के आवाजाही का कैरीडोर है वहां अंडरपास या अप्पर पास बनाने का नियोजन पर ध्यान ही नही दिया जा रहा , एसे में नागपुर -अमरावती राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 06 के कोंढाली/कलमेश्वर वन परिक्षेत्र के बाजारगांव उपवन क्षेत्र के कैरीडोर पर अब तक दो बाघ तिन तेंदुऐ तथा अनेक नील गाय वाहनों के दुर्घटनाओं में मारे जा चूके है। फिर भी इस राजमार्ग पर अनेक बार जनता द्वारा मांग करने पर भी कोई सुनवाई नही हो रही। ना अंडर पास ना अप्पर पास बनाने की कोई सरकार हिम्मत नही कर रही।


*नागरिकोंकी सुरक्षा*
बताया जाता है की
प्राप्त जानकारी के अनुसार बोर व्याघ्र प्रकल्प के बी टी आर- 2 बाजीराव नामक बाघ वर्ष 2017में कोंढाली वनपरिक्षेत्र के तहत (अब कलमेश्वर वनपरिक्षेत्र में) बाजारगांव के पास राजमार्ग पार करते समय अज्ञात वाहन के टक्कर में मृत्यु हुई , वहीं बी टी आर -04 शिवाजी विगत आठ वर्षों से अब तक लापता बताया जा रहा है। फलस्वरूप बोर व्याघ्र प्रकल्प के कोअर तथा बफर झोन के तहत बाघों की संख्या में कमी होते ही, चंद्रपुर जिले ताडोबा व्याघ्र प्रकल्प के बाघ, अपने नैसर्गिक अधिवास के लिये सीधे बोर व्याघ्र प्रकल्प के ओर रूख करते है, तथा अपने टेरिटोरी के लिये भटकते समय समिपस्थ खेतों के किसानों, चरवाहों तथा तेंदुपत्ता संकलन करनेवाले मजदूरों पर हमले के प्रमाण बढ रहे हैं । देश के सबसे छोटे व्याघ्र प्रकल्प बोर व्याघ्र प्रकल्प के तहत बाघों के लिये सुरक्षित वनपरिक्षेत्र में चार बाघीन तथा बी टी आर -08,तथा बी टी आर -10 दो बाघ कुल 06बाघ बाघीन बताये जाते हैं।

*श्यामाप्रसाद मुखर्जी जन वन योजना की व्याप्ती बढायें*
राष्ट्रीय वन्यजीव कार्य योजना के तहत वनों और वन्य जीवों के संरक्षण के लिए सरकार ने डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने ‘जन-वन विकास’ योजना शुरू की है।
इसके लिए राजस्व एवं वन विभाग, महाराष्ट्र सरकार ने 4 अगस्त, 2015 को सरकारी संकल्प संख्या WLP-0515 / Q.No.155 / F-1 जारी किया है।
योजना का उद्देश्य मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करना और ग्रामीण संसाधनों की उत्पादकता और वैकल्पिक रोजगार के अवसरों को बढ़ाकर वनों पर निर्भरता को कम करके सह-अस्तित्व स्थापित करना है।
ग्रामीण जल, वन और वन संसाधनों के सतत विकास के माध्यम से उत्पादकता में वृद्धि, वैकल्पिक रोजगार के अवसर और संरक्षित क्षेत्रों पर मानव दबाव को कम करना। फिर भी इस योजना का प्रभावी नियोजन के जन तथा किसानों के हित में तथा उचित उपयोग नही हो रहा। वन्य क्षेत्र से जुडे ग्रामीण किसानों के खेतों, खलिहानों तथा वन्य जीव जंगल प्रवण क्षेत्र के किसानों के खेतों में बाड़ के लिये शासन द्वारा आर्थिक मदत की जाय।

*योग्य नियोजन की मांग*
डाॅक्टर श्यामाप्रसाद मुखर्जी जन वन योजना की व्याप्ती को वनों के समिपस्थ तथा आस पास के गांव के किसानों, मजदूरों तक प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया जाय यह जानकारी मासोद(बे) के किसान तथा पर्यावरण प्रेमी बिपीन पांडे, तथा कातलाबोडी, मुरली, शीवा, कुंडी, अहमदनगर, मासोद धोतीवाडा, खापा, कामठी के किसानों तथा गोपालकों द्वारा बार बार मांग की गयी है ।

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