*बीना बैसाखी शीतल ने बढया कदम*
*लॉयन्स क्लब सावनेर का सराहनीय कार्य*
सावनेर: मानव सेवा में ईश्वर के होने का अहसास हाल ही में लायंस क्लब सावनेर व्दारा कराया गया जहा पीछले करीब दो दशकोसे बैसाखीपर चलनेवाली शितल को कु्त्रीम पैर मीलनेसे उसकी बैसाखी छुटनेकी आस बंधी।*
सावनेर पहेलेपार निवासी। 23 साल की कु. शीतल ज्ञानेश्वर उइके का तीन साल की उम्र में एक्सीडेंट हो गया था और बाद में उन्होंने अपना बायां पैर पूरी तरह से खो दिया था। घर की आर्थिक स्थिति भी काफी दयनीय है। लेकिन धीरे-धीरे वह बैसाखी की मदद से अपने जीवन को फिर से बनाने की कोशिश करती है, 10वीं की परीक्षा पास करती है और परिवार का आर्थिक स्रोत बनने के लिए सिलाई सीखती है।शितलके जिद और जज्बेको सलाम! वह और उसके पिता अपने पैरों को ठीक करने के लिए अपने दम पर चलने के लिए लगातार संघर्ष कर रहे हैं।*
*इस दरम्यान लायंस क्लब इस युवा, विकलांग लड़की की मदद के लिए आगे आता है। उसकी अक्षमता को दूर करने का प्रयास शुरू होता है। और उसे अक्सर लायंस क्लब सावनेर के माध्यम से इलाज और जांच के लिए नागपुर भेजा जाता है।अल्टियर हेल्थ केयर नागपुर के सहयोग से शीतल के कृत्रिम पैर को डिजाइन किया गया है, कई परीक्षण किए गए हैं और आखिरकार चार महीने के बाद बैसाखी के बिना चलने का सपना सच हो गया है।अपने दिव्यांग लडकीको लाँयन्स क्लब सावनेर व्दारा प्राप्त कु्त्रीम पैर पर कदम बढाते देख लाँयन्स क्लबके उपस्थित पदाधिकारी सदस्योके चेहरेपर समाधान तो वही पीताके आँखोमे खुशीके आसु अनायस ही झलक उठे।*
*लायंस क्लब सावनेर ने हाल ही में औपचारिक तरीके से शीतल को कृत्रिम पैर भेंट किया। जीसके लीये लाँयन्स क्लबके अध्यक्ष डॉ. शिवम पुण्यानी,वत्सल बांगरे,अँड् अभिषेक मुलमुले, किशोर सावल ने विशेष भूमिका निभाई।डाॅ.अमित बाहेती, डाॅ. प्रवीण चव्हाण आदीने समय-समय पर उनका मार्गदर्शन किया।तथा आशा की गई कि समाज के संवेदनशील लोग तथा अन्य संस्थाये भी ऐसे कार्य हेतू आगे आएं और शीतल जैसे समाज में ऐसे कई विकलांग व्यक्तियों के इलाज के लिए लायंस क्लब की गतिविधियों में योगदान देंने की बात लाँयन्स क्लबके अध्यक्ष डॉ.शिवम पुण्यानी ने इस अवसरपर कही।*
*इस अवसर पर शीतल एवं उनके पिता ने लायंस क्लब के पदाधिकारियों का आभार व्यक्त किया इस गतिविधि को सफल बनाने के लिए अधिवक्ता मनोज कुमार खंगरे, प्रवीण टोंपे, हितेश ठक्कर, रुकेश मुसाले, प्रवीण सावल, पीयूष झिंजूवाडिया, मिथिलेश बालाखे, हितेश पटेल, प्रियंका मुलमुले आदीका बहुमूल्य सहयोग प्राप्त हुआँ।*