*सर्जरी कर गाय के पेट से निकली 15 किलो प्लास्टिक तथा किल, एवं पिन* *03 घंटे तक चली सर्जरी* *प्लास्टिक के उपयोग से बचने की पशुचिकित्सक की अपील*

*सर्जरी कर गाय के पेट से निकली 15 किलो प्लास्टिक तथा किल, एवं पिन*

*03 घंटे तक चली सर्जरी*

*प्लास्टिक के उपयोग से बचने की पशुचिकित्सक की अपील*

कोंढाली संवाददाता -दुर्गाप्रसाद पांडे
नागपुर –  जिले के कोंढाली समिपस्थ दुधाला के किसान नारायण मनोहर जुराहे के सात वर्षीय गाय के पेट में से कोंढाली पशुचिकित्सालय के डाक्टर स्वप्निल रेवतकर तथा सहयोगी सुधीर कापसीकर ने गुरुवार को किसान गाय के पेट से 15 किलो प्लास्टिक, सेप्टिक पिन, तथा खिले भी सर्जरी करके निकाला. बताया जाता है की दुधाला के किसान नारायण मनोहर जुराहे की सात वर्ष आयु की गाय को सूजन, कमजोरी और पोषण की कमी होने लगी थी, क्योंकि उसकी पाचन क्षमता कम हो गई थी,इस लिये किसान ने गाय को यहां के शासकिय पशु चिकित्सक को बताया। पशुचिकित्सक डा स्वप्निल रेवतकर ने गाय के बीमारी का परिक्षण कर गाय ने प्लास्टिक खाये होने से गाय का स्वास्थ खराब की जानकारी दी।इसके बाद पशुचिकित्सकडाक्टर स्वप्निल रेवतकर , डा मयुर काटे तथा सहयोगी सुधीर कापसीकर ने 03 घंटे की सर्जरी के बाद सरकारी पशु चिकित्सालय में सारा प्लास्टिक निकाला गया प्लास्टिक के साथ साथ गाय पेट से पिन तथा खिले, रस्सी के टूकडे, पेट से निकले। .
पशु चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर स्वप्निल रेवतकर ने बताया कि जब एक गाय प्लास्टिक खाती है तो वो उसे न पचा सकती है और न ही अगले चेंबर में भेज सकती है, जिसके चलते वो जीवन भर उसके पेट में जमा होता रहता है. और प्लास्टिक अंदर ही अंदर पिघलने लगती है. इसके चलते अन्य भोजन को पचने के लिए जगह नहीं मिलती. यही वजह है कि जरूरी पोषक तत्व फिर खाने से नहीं मिल पाते.


*ऐसे की गई सर्जरी*

सर्जरी के दौरान गाय को खड़ा रखा गया था और उसे लोकल एनेस्थीसिया दिया गया। तथा ऑपरेशन (सर्जरी)की गयी तथा पेट में से15किलो से अधिक प्लास्टिक निकाला । डॉक्टर ने कहा कि गाय अब ठीक है, उसे अगले पांच दिनों तक एंटीबायोटिक्स की दवाएं दी जाएंगी. इसके साथ ही दर्द को कम करने की दवाएं भी गाय को दी जाएंगी.

*पशुचिकित्सक डॉक्टर की लोगों से अपील*

कोंढाली  पशुचिकित्सालय के पशुचिकित्सक ने बताया की
इस तरह की स्थिति किसी दूसरे जानवर की न हो इसके लिए जरूरी है कि प्लास्टिक का कम से कम इस्तेमाल किया जाए. खाने को जब भी फेंके या जानवरों को खिलाएं तो उसे प्लास्टिक के कवर में न रखें. जहां तक संभव हो प्लास्टिक का इस्तेमाल न के बराबर करना चाहिए, प्लास्टिक का उपयोग ना करें, जिससे बेजुवानों को इस तरह की स्थिति में जाने से बचाया जा सके. यह अपील भी पशुचिकित्सक डाक्टर स्वप्निल रेवतकर द्वारा की गयी है ।

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